दैनिक ई-प्रतिवेदन/शिविर-समाचार
दैनिक ई-प्रतिवेदन कार्यरत सदन -
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
द्वितीय चरण दिनांक 23.12.2018 से 01.01.2019
दिनांक 24.12. 2018 का प्रतिवेदन



दिनांक 24.12. 2018 का प्रतिवेदन



अपनी गरिमामयी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए प्रसिद्ध नगरी ग्वालियर के केंद्रीय विद्यालय, क्रमांक 1, ग्वालियर में हिंदी स्नातकोत्तर शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण शिविर का दूसरा दिवस बड़े जोश एवं उत्साह के साथ आरंभ हुआ।
प्रातः10.00 बजे, श्री गौरव द्विवेदी प्राचार्य के. वि.नं 1 ग्वालियर के दिशा निर्देशन में प्रातः कालीन सत्र की शुरूआत विद्या की देवी सरस्वती की आराधना से हुई ।
डॉक्टर राम कुमार सिहं के कल कण्ठों से निस्सृत वंदना के स्वरों ने सबको भाव विभोर कर दिया। तत्पश्चात प्रार्थना ,प्रतिज्ञा, विचार ,समाचार, नए शब्द की क्रमशः प्रस्तुति के बाद विशेष कार्यक्रम के क्रम में एक प्रेरणा दायक गीत ने ह्रदयों में भरे उत्साह को द्विगुणित कर दिया ।
श्री चंद्रजीत यादव स्नातकोत्तर शिक्षक के.वि., जगदलपुर ने शिविर के प्रथम दिन की शिविर के कार्रवाई का विशद विवरण प्रस्तुत किया।
शिविर के सह निदेशक डॉ श्री राम कुमार सिंह ने स्थल निदेशक श्री गौरव द्विवेदी को पुष्पस्तबक प्रदान कर अभिवादन की औपचारिकताएं पूरी कीं।
डॉ श्री रामचंद्र चौधरी ने प्रार्थना सभा की समीक्षा करते हुए प्रार्थना, प्रतिज्ञा ,विचार ,समाचार, नए शब्द एवं प्रथम दिवस के प्रतिवेदन की भूरि- भूरि प्रशंसा की।
तत्पश्चात डॉ राम कुमार सिंह ने ग्वालियर के प्रसिद्ध गजलकार जां निसार अख्तर का कलाम सुनाकर शिविर को आनंद से परिपूरित कर दिया ।
डॉ श्री शशिभूषण ने गजल की प्रस्तुति में संगीत सुर और आवाज की त्रिवेणी को परिलक्षित किया।
तत्पश्चात श्री गौरव द्विवेदी, स्थल निदेशक ने एक प्रभावशाली शिक्षक के गुण बताते हुए नवाचार को साझा करने का सुझाव दिया।
चाय काल के उपरांत सुश्री राजकुमारी निगम,शिविर निदेशक प्राचार्या, केंद्रीय विद्यालय नंबर 3 आगरा की उपस्थिति ने संपूर्ण शिविर को उत्साह से भर दिया।
डॉ राम कुमार सिंह ने मंच से उनका स्वागत करते हुए उन्हें आमंत्रित किया। सुश्री निगम मैडम ने प्रतिभागियों को द्वितीय चरण के निर्धारित कार्यक्रम को पूरा करने, आनंदित मन से प्रशिक्षण लेने, नए बदलाव के साथ विद्यालय वापस लौटने का सुझाव देते हुए सब को प्रसन्न रहने का आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं दीं।
डॉ शशि भूषण ने उनका धन्यवाद ज्ञापन कर डॉ रामकुमार सिंह को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 पर आलोक डालने के लिए आमंत्रित किया ।उन्होंने जहां राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की पूर्वपीठिका के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का उल्लेख किया ,वहीं उसके पश्चात प्रभाव में आए सर्व शिक्षा अभियान 2001 तथा शिक्षा के अधिकार 2009 की चर्चा की ।उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 सुझाव परक दस्तावेज है तो शिक्षा का अधिकार संवैधानिक बाध्यता है। इसी कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा, मातृभाषा पर बल, वंचित ,वनांचल में रहने वाले बच्चों को वरीयता, गणवेश, छात्रवृत्ति साइकिल, पुस्तक ,मध्याह्न भोजन आदि उपादान बने। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की परिचर्चा के क्रम में प्रथम प्रतिभागी योगेंद्र कुमार पांडे सीखनाऔर ज्ञान के अंतर्गत बाल केंद्रित शिक्षा, प्रकृति से शिक्षा, पौष्टिक भोजन, शारीरिक गतिविधियाँ आदि की चर्चा की।
तत्पश्चात श्री तेज नारायण ,के.वि. वास्को ने कहानियों और उदाहरणों के माध्यम से सीखना और ज्ञान की रोचक प्रस्तुति दी।
भोजनावकाश के पश्चात भूपेश सिंह, केंद्रीय विद्यालय ,पचमढी ने पाठ्यचर्या पर परिचर्चा में भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, खेल आदि की उपादेयता बतायी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सौंदर्य बोध पर दबाव के साथ ही स्वास्थ्य, शांति के साथ शिक्षा की चर्चा करते हुए काम करके शिक्षार्जन पर बल दिया ।
श्री संजय काटोले, केंद्रीय विद्यालय गणेशखिंड ने सतत व्यापक मूल्यांकन ,बच्चों को घर से स्कूल तक लाने ,रुचि के अनुसार शिक्षण, कौशलों का विकास आदि पाठ्यचर्या के विषयों का विवरण दिया।
तत्पश्चात श्री शैलेंद्र कुमार केंद्रीय विद्यालय, महोबा ने विद्यालय और कक्षा का वातावरण के अंतर्गत सक्षम बनाने वाला वातावरण एवं सृजनात्मकता के अवसर देने की बात रखी। चायकाल के पश्चात श्रीमती रेवती राजाराम, केंद्रीय विद्यालय, बेंगलुरु ने पावरप्वाइंट प्रस्तुति ,दृश्य श्रव्य माध्यम का प्रयोग कर विषय को रोचक बनाया। शिक्षार्थियों से प्रश्न पूछकर उत्सुकता का वातावरण निर्मित किया ।
श्री शिव नारायण, केंद्रीय विद्यालय, तेजपुर ने बताया कि अनुभव ,तर्क,प्रमाण में ही शिक्षा का मूल तत्व छिपा है। सृजनात्मकता एवं आनंद ही ज्ञानार्जन का मूल मंत्र है ।संविधान के 73वें संशोधन, पंचायती राज ,परीक्षा के लचीलेपन ,छात्रों के चहुँमुखी विकास आदि की चर्चा की।
अंतिम प्रतिभागी श्रीमती अनुराधा पांडेय, केंद्रीय विद्यालय, रायपुर ने व्यवस्थागत सुधार के अंतर्गत गुणवत्ता, मूल्यपरक विकास, पाठ्य पुस्तक ,कार्य प्रशिक्षण नीतियाँ, समस्या समाधान, लघु परीक्षाएँ सर्वोत्तम गुणों के प्रदर्शन का अवसर, काम केंद्रित शिक्षा- कौशलों का विकास ,व्यवसायिक शिक्षा आदि की चर्चा की।
परिचर्चा को संपूर्णता प्रदान करते हुए डॉ शशि भूषण ने बताया कि यह लोकतंत्र एवं संविधान द्वारा प्रदत्त भौतिक अधिकारों को प्रदान करती है। देश के भावी नागरिक को लोकतंत्र के प्रति सचेतन और प्रबुद्ध करने का कार्य करती है। इसके साथ ही शिविर का अपराह्न सत्र एवं द्वितीय दिवस की गतिविधियां संपन्न हुई ।
धन्यवाद
दिनांक 23.12. 2018 का प्रतिवेदन
गुरू की महत्ता स्वतःसिद्ध है,
केन्द्रीय विद्यालय संगठन
इसका अप्रतिम उदाहरण : श्री पाण्डेय
स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी का सेवाकालीन प्रशिक्षण
: केंद्रीय विद्यालय
क्रमांक 1 ग्वालियर
शीतकाल की ठंड से ठिठुरती सुबह में प्रतिभागियों के उल्लास के मध्य केंद्रीय
विद्यालय क्रमांक 1 ग्वालियर में स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी के सेवाकालीन प्रशिक्षण
शिविर का दूसरा चरण आज 23 दिसंबर 2018 को शुरू हुआ। यह प्रशिक्षण प्रथम दिवस अर्थात
आज 23 दिसंबर को केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 5 ग्वालियर में प्रारंभ हुआ। सर्वप्रथम
प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ मुख्य अतिथि दूरदर्शन केंद्र ग्वालियर के उप निदेशक
श्री सुरेश पांडे के कर कमलों से मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और
उन्हें पुष्प माला अर्पित कर हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 5 के
प्राचार्य श्री पूरन लाल और स्थल निदेशक तथा केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1 ग्वालियर
के प्राचार्य श्री गौरव द्विवेदी भी उपस्थित थे। सर्व प्रथम मुख्य अतिथि एवं
प्राचार्य द्वय का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया। स्मृति चिन्ह के रूप में उन्हें
पुस्तकें भी भेंट की गई। बशीर बद्र जी की गजल की संगीतमय मधुर प्रस्तुति से डॉ. राम कुमार सिंह ने सबका मन मोह लिया। शिविर के संबंध निदेशक डॉ राम
कुमार सिंह एवं संसाधक द्वय डॉ शशिभूषण तिवारी,और डॉ.रामचंद्र चौधरी ने अतिथियों का स्वागत किया। अपने स्वागत उद्बोधन में
प्राचार्य श्री गौरव द्विवेदी ने कहा कि सेवाकालीन प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य
शिक्षकों की सेवाकालीन ज्ञान के नवीनीकरण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति है। एक
निश्चित समय अवधि में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन से शिक्षकगण अपने विषय
की नवीनतम सूचना और तकनीकों से परिचित होते हैं और अपने शिक्षण में इनका उपयोग
करते हैं। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त करते हुए कहा कि इस सेवाकालीन प्रशिक्षण से
प्रशिक्षण प्राप्त कर हमारे शिक्षक अपने विद्यालय में विद्यार्थियों की भाषाई
संप्रेषण क्षमता और उनके भाषाई कौशलों के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे
पाएंगे। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए दूरदर्शन ग्वालियर केंद्र के उपनिदेशक श्री
सुरेश पांडे ने कहा कि शिक्षक देश के जागरूक नागरिक हैं और देश की भावी पीढ़ी को
शिक्षित करने और उन्हें योग्य नागरिक बनाने का दायित्व शिक्षकों का ही है।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ शशि भूषण ने
किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अश्विनी शिवहरे ने किया ।इसके पूर्व,सम्बद्ध निदेशक डॉ श्री राम कुमार सिंह ने शिविर आयोजन के उद्देश्यों
और भावी कार्यक्रमों तथा प्रशिक्षण के विभिन्न सोपानों की विस्तार से जानकारी दी।
उद्घाटन समारोह के प्रारंभ में श्री हरिवंशराय बच्चन समूह के द्वारा परंपरागत
प्रार्थना सभा प्रस्तुत की गई ,जिसमें शिक्षक
प्रतिज्ञा, विचार ,समाचार आज का शब्द एवं विशेष कार्यक्रम के अंतर्गत श्री गोपाल सिंह
गोपाल नेपाली द्वारा रचित गीत की प्रस्तुति की गई । उद्घाटन सत्र के पश्चात शिविर
के सम्बद्ध निदेशक डॉ राम कुमार सिंह द्वारा विद्यार्थियों की उपस्थिति और उनके
विद्यालय तथा संभाग संबंधी विवरण की समीक्षा की गई । समूह कार्य के रूप में
उन्होंने सर्वप्रथम चारों समूह और सभी प्रतिभागियों से ई-कंटेंट विकसित करने के कार्य में सहयोग करने का आग्रह किया ।इस क्रम
में सभी समूहों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराई गई और
इसके चार अध्याय को चारों समूह को वितरित किया गया ।उन्होंने कहा कि इस बार शिविर
में प्रतिभागी ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी निर्माण करना भी सीखेंगे। भोजन अवकाश के बाद
शिविर के सम्बद्ध निदेशक डॉ राम कुमार सिंह ने विद्यालयों में विद्यार्थियों की
वास्तविक शैक्षणिक आवश्यकताओं को शिक्षकों द्वारा समझने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के परिप्रेक्ष्य में सीखना और ज्ञान दोनों
प्रक्रिया को विद्यार्थियों से जुड़ना अति आवश्यक है। इसके बाद प्रतिभागियों ने
अपने- अपने समूह में बैठकर प्रदान किए गए समूह कार्य
के संबंध में चर्चा की और इस संबंध में सामग्री तैयार करने का कार्य प्रारंभ किया।
इस प्रकार सेवाकालीन प्रशिक्षण के प्रथम दिवस का सुखद समापन हुआ।
दैनिक ई-प्रतिवेदन
दिनांक 21.05.2018 का प्रतिवेदन
दिनांक 19.05.2018 का प्रतिवेदन
------------------------------------------------------------------------------------
दिनांक 18.05.2018 का प्रतिवेदन
भारतीय इतिहास की ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर में दिनांक 22/05/2018 को केंद्रीय विद्यलय क्र्. 1, ग्वालियर में हिंदी स्ननातकोत्तर शिक्षक शिविर के छठे दिन का शुभारम्भ द्विवेदी सदन के द्वारा सरस्वती वंदना के सुमधुर श्लोक पाठ से हुआ । इसके बाद पारम्परिक प्रार्थना, शिक्षक प्रतिज्ञा, समाचार, विचार, नये शब्द की प्रस्तुति के बाद समूह गान के पश्चात गत दिन का प्रतिवेदन डा. अमिताभ शर्मा, बच्चन समूह के द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
इसके उपरांत डा. रामचन्द्र चौधरी, संसाधक ने प्रार्थना सभा की उत्तमता के लिए समूह को बधाई देकर सभी कार्यक्रम को सराहा ।
इसके बाद संसाधक डा. शशिभूषण तिवारी ने बताया कि विचारो की निर्मिति समाज और देशकाल के अनुसार होती है। विचार और भावनाये में कार्यरुप देते हैं । इसी क्र्म में उन्होने चाणक्य एवंं भारत एक खोज दूरदर्शन के दो धारावाहिकोंं का उल्लेख किया । इसके बाद उन्होंंने अब्राहम लिंंकन का लिखा एक पत्र, जो उन्होंने अपने बेटे के हेड्मास्टर को लिखा था, को सुनाया ।
सह-निदेशक डा. रामकुमार सिंह ने व्यक्तिश: आलोचना के क्रम में देव ऋण, ऋषि ऋण आदि की चर्चा की । प्रतिभागियोंं की शंका निवारण के लिए उन्होंंने गुलमोहर श्ब्द की व्याख्या करते हुए उसे सौंदर्य से जोडा । गांंव से शहर की ओर पलायन की समस्या परिस्थिति जन्य एवंं है ।
प्रथम पाली में डा. रामचंद्र चौधरी ने योग एवं योगाभ्यास पर विषद चर्चा करते हुए योग की परम्परा से अवगत कराया । उन्होंंने प्राणायाम की विधियोंं का उल्लेख करते हुए योग के लाभ, योग के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पक्षोंं की चर्चा की ।
तत्तपश्चात श्री भूपेश सिंंह, डा. अश्विनी शिवहरे एवं डा. अमिताभ शर्मा ने क्रमश: अपने विचार रखे ।
श्रीमती सुनीता लोहारा ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।
चाय अंतराल के उपरांत अतिथि वक्ता श्री महेश कटारे , प्रतिनिधि कहानीकार, जिन्होंंने ग्वालियर अंचल की भाषा को मुख्य धारा से जोडा । उन्होने कहानी के बारे में बताते हुए कहा कि कहानी खास घटना को कहने की कला है । उन्होने कहानी के विषय में बताया कि प्रेमचंद से बडा कहानीकार पैदा नहीं हुआ लेकिन भीष्म साहनी , अमृतलाल नागर , निर्मल वर्मा , काशीनाथ सिंंह आदि कहानीकार अपने क्षेत्र में अतुलनीय हैं । उन्होने अपने उपन्यास कामिनी काय कांतारे के विषय में भी चर्चा की । भोजनावकाश के बाद मध्य सत्र परीक्षा सम्पन्न हुई ।इसके बाद काव्य गोष्ठी का सभी ने आनंद उठाया । इस प्रकार शिविर के छठे दिवस का समापन हुआ ।
दिनांक 21.05.2018 का प्रतिवेदन
प्रातःकालीन योगाभ्यास करते हुए प्रतिभागी
शिविर के पंचम दिवस का शुभारंभ माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्वलित करने के साथ हुआ। प्रार्थना सभा का संचालन बच्चन समूह की ओर से डा. अमिताभ शर्मा द्वारा करते हुए सभी प्रतिभागियों को यौगिक क्रियाएँ कराई गईं। तत्पश्चात समवेत स्वर में प्रार्थना हुई। डा. योगेंद्र कुमार पाण्डेय द्वारा शिक्षक प्रतिज्ञा दिलाई गई। अश्विनी कुमार शिवहरे जी ने बच्चन जी की रुबाई को जीवन संदर्भ प्रदान कर विचार प्रस्तुत किए । समाचारों के अंतर्गत राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों का अवलोकन श्रीमती सुशीला देवी एवं श्री अचल सिंह मीणा द्वारा कराया गया । नवीन शब्द ज्ञान का परिचय सुश्री गीता मर्दवाल दिया गया । श्री तेजनारायण सिंह के निर्देशन में सभी ने समूह गान हिंदी के महत्त्व पर प्रस्तुत किया जिसके रचयिता श्री गोपाल सिंह नेपाली हैं । गत दिवस का प्रतिवेदन डॉ. शतेंद्र कुमार शुक्ल ने प्रस्तुत किया ।
तत्पश्चात शिविर के संसाधक श्री शशिभूषण ने रवींद्र नाथ टैगोर की एक प्रार्थना की रिकॉर्डिंग सुनाई और भावी गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। संसाधक डा. रामचंद्र द्वारा प्रात: कालीन सभा के सभी कार्यक्रमों की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
शिविर के प्रथम सत्र में सह निदेशक डा. रामकुमार द्वारा अधिगम अक्षमता पर एक सारगर्भित व्याख्यान से सभी लाभान्वित हुए । आपने इसके पर्यावरणीय एवं मनोवैज्ञानिक पक्ष को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया । अधिगम में विविध प्रकार की बाधाओं की पहचान कर निदानात्मक एवं उपचारात्मक उपायों को बताया गया। तत्पश्चात एक ज्ञान परीक्षा का आयोजन किया गया।
चाय अंतराल के उपरांत पाठ योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया,जिसमें डा. पूनम त्यागी, श्री विजय कुमार मिश्र ,डा.सीमा शर्मा, श्री संजय कुमार काटोले, श्री अचल सिंह मीना एवं श्रीमती सुशीला सिंह द्वारा अपने पाठों को यथानुरूप प्रस्तुत किया गया । निर्धारित समीक्षकों द्वारा सम्यक, सार्थक एवं सटीक टिप्पणियाँ की गईं।
भोजनोपरांत सभी समूहों ने अपने निर्धारित समूह कार्य को समेकित रूप संपन्न किया । इसी दौरान शाम की चाय पश्चात सह – निदेशक डा. रामकुमार ने दुष्यंत कुमार की गज़लों का गायन किया। पाठों की प्रस्तुति के दौरान आये विविध चर्चा-बिंदुओं का समाहार संसाधक श्री शशिभूषण द्वारा किया गया। इसके साथ ही शिविर के पंचम दिवस का सफल अवसान हुआ। बच्चन समूह
२०/०५/२०१८
समावेशित शिविर का चतुर्थ दिवस प्रातःकालीन प्रार्थना सभा से प्राम्भ हुआ | माँ शारदा को पुष्प समर्पित कर, दीप प्रज्ज्वलन कर मन्नू भंडारी समूह द्वारा शुभारंभ किया गया | नित्य प्रार्थना के पश्चात प्रतिज्ञा,सुविचार,राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों से परिचय कराते हुए गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीराम स्तुति का समवेत प्रस्तुतीकरण और अंत में श्री चंद्रभूषण तिवारी जी द्वारा गत दिवस की कार्यवाही का सम्पूर्ण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया|
संसाधक डॉ.शशिभूषण जी द्वारा प्रतिभागियों को आवश्यक निर्देश देने के साथ ही विगत दिवस की चर्चा का सन्दर्भ लेते हुए बाजारवाद की तार्किक समीक्षा एवं शहरीकरण के षड्यंत्र की और ध्यान आकर्षित कराया गया | तत्पश्चात सह निदेशक डॉ. राम कुमार सिंह ने एक परिचर्चा का शुभारंभ किया गया जिसका विषय था- पत्रकारिता और जनसंचार के बदलते आयाम: अभिव्यक्ति और माध्यम के सन्दर्भ में | तेरह उप विषयों में सम्पूर्ण प्रतिभागियों को तीन-तीन की संख्या में वर्गीकृत कर पत्रकारिता, जनसंचार, सोशल मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में वर्तमान में बदलाव, बदलते मूल्य,उसका प्रभाव,भूमंडलीकरण की अवस्था में मीडिया की भूमिका तथा पत्र- पत्रिकाओं की वर्तमान स्थिति पर विशद चर्चा हुई| वर्तमान मीडिया एवं पत्रकारिता,टी आर पी की चिंता में अपने मानकों के अवमूल्यीकरण पर भी सकारात्मक चर्चा हुई| मंतव्य लेखन समूह द्वारा सारगर्भित मंतब्य प्रस्तुत किया गया|
चाय के उपरान्त केन्द्रीय विद्यालय संगठन से सेवानिवृत्त प्राचार्या श्रीमती किरण ढोढी ने सुरक्षित विद्यालय विषय पर एक आलेख प्रस्तुत किया जिसमें आपने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के विद्यालयी सुरक्षा, विद्यार्थी सुरक्षा एवं उसका संवेगात्मक विकास,सुरक्षा के सन्दर्भ में नियम -क़ानून एवं आदेशों और निर्देशों की चर्चा की | विद्यालय को इस प्रकार से सुरक्षित बनाया जाय कि विद्यार्थियों को विद्युत –सुरक्षा, आपदा प्रबंधन की जानकारी, आगंतुकों के आवागमन एवं भवन सुरक्षा, अग्निशामकों के प्रयोग की जानकारी,भूकंप के समय उठाये जाने वाले कदम,प्राथमिक उपचार व्यवस्था, शुद्ध जल व्यवस्था, संवेदनाओं एवं संवेगों का उचित संवर्धन,यौन शिक्षा का ज्ञान आदि विषयों,उप विषयों पर विषद चर्चा की गयी|
मध्यान्ह भोजन के पश्चात सह निदेशक डॉ. रामकुमार सिंह जी ने श्री रामचरित मानस के लंका कांड से लक्षमण मूर्च्छा एवं राम का विलाप अंश का सुमधुर गायन कर परम्परागत छंदों की गायन शैली से परिचय कराया |
तत्पश्चात प्रतिभागियों द्वारा पाठ योजना प्रस्तुत की गयी जिसमें श्री किशोर पंचाले जी द्वारा फ़िराक गोरखपुरी की रुबाइयां, महेश पाण्डेय जी द्वारा अतीत में दबे पाँव ,डॉ. शत्रुघ्न सिंह द्वारा सहर्ष स्वीकारा है, श्रीमती शोभना पी. के. द्वारा बगुलों के पंख पाठों का प्रस्तुतीकरण कक्षा के विद्यार्थियों के स्तर को ध्यान में रखकर किया गया |
पाठ प्रस्तुतियों के निर्धारित समीक्षकों ने प्रस्तुतीकरण के समय आने वाले विभिन्न विन्दुओं पर अपने सुझाव दिए |
शिविर की वरिष्ठ प्रतिभागी डॉ. सुश्री नीति शास्त्री की बड़ी बहन पूर्व प्राचार्य एवं समाज सेविका डॉ. दीप्ति शास्त्री के निधन की सूचना मिलते ही शोक- श्रद्धांजलि सभा के पश्चात आसंदी की और से शेष समस्त गतिविधियों को अगले दिवस तक के लिए विराम दिया गया |
ओम शांतिः| शांतिः|| शांतिः ||प्रस्तुति: शतेन्द्र कुमार शुक्ल / मन्नू भंडारी समूह
दिनांक 19.05.2018 का प्रतिवेदन
दिनांक 19.05.2018 के शुभ शनिवार का आरम्भ ज्ञान की आराध्या देवी सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर आत्मा के प्रक्षालन के लिए प्रार्थना की गई .प्रार्थना के पश्चात् प्रतिज्ञा ,विचार ,समाचार एवं अंत में एक सुमधुर भजन प्रस्तुत किया गया I
तत्पश्चात हजारी प्रसाद द्विवेदी समूह द्वारा पिछले दिन के कार्यों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया.डॉ रामचंद्र जी संसाधक की ओर से समीक्षा के दौरान पढ़े गए इस शेर ने उत्साहपूर्ण माहौल पैदा कर दिया कि-
गिर-गिर के भी अबतक हम मुकम्मल से खड़े हैं.
ऐ जिंदगी,देख हम अबतक भी अड़े हैं.
डॉ रामचंद्र जी ने कार्यक्रम प्रस्तुति के सभी आयामों को सराहा.
श्री शशिभूषण तिवारी (संसाधक ) ने नए सदस्यों को प्रदत्त जिम्मेदारियों से उन्हें अवगत करवाया.प्रत्येक सदन को एक -एक पुस्तक पढने को और उसकी समीक्षा लिखने को दी गई.
शैक्षणिक सत्र का आरंभ डॉ रामकुमार सिंह ने समावेशी शिक्षा और उसके स्वरुप पर अपने बहुमूल्य विचार रखे.
समावेशी शिक्षा सभी के समावेशन पर जोर देती है अर्थात विशेष योग्यताओं और कमियों के सामान्यीकरण का एक प्रयास है.
इस प्रकार प्रथम सत्र की यह चर्चा सदस्यों के विचार-विमर्श के साथ सार्थक रूप से समाप्त हुई.
विचार-प्रवाह का एक सार्थक पक्ष यह रहा कि -
कुछ हम कहें,कुछ तुम कहो,
कुछ हम सुने,कुछ तुम सुनो,
हम तुम बने,तुम हम बनो,
हम हम ही क्या,तुम तुम ही क्या.
प्रथम सत्र के दौरान ही समावेशी शिक्षा के पश्चात् प्रश्नोत्तरी परीक्षा आयोजित की गई,जिसमे प्रतिभागियों ने उत्साह से भाग लिया.
चाय-विराम के पश्चात् मुख्य अतिथि श्री तरुण भटनागर का आगमन हुआ .डॉ राम कुमार द्वारा उनके स्वागत में एक शानदार ग़ज़ल का गायन किया गया . मसलन-
वो गहरे आसमानी रंग की चादर में लिपटा है,
कफ़न सौ जख्म फूलों में वो ही परदा न हो जाये.
अपने वक्तव्य के दौरान श्री तरुण भटनागर जी ने इस बात को स्पष्ट किया कि हमारी अपनी भाषा ही हमारे विचारों की वाहिका हो सकती है.
प्रतिभागियों के निवेदन पर श्री भटनागर जी ने हमारे समक्ष अपनी कहानी प्रस्तुत की ,जिसका शीर्षक था- जंगल में चोरी.
कहानीकार की परिकल्पना ,कहानी का वातावरण एवं निर्माण की चुनौतियाँ आदि विषय पर भी श्री भटनागर जी ने सम्यक प्रकाश डाला.
कहानीकार की सच्ची सफलता अपने पत्रों के साथ परकाया प्रवेश जैसा हो जाना है.
श्री शशि भूषण तिवारी जी ने श्री भटनागर जी को धन्यवाद के क्रम में ये ख़ूबसूरत सी पंक्ति कही-
फ़कत आँखें ही हैं अपनी ,इनसे ही देखें ये जहाँ,
किसी और की आँखों से भला क्यों देखें.
तत्पश्चात मुक्तिबोध समूह के श्री सोहन राम जी ने समूह की तरफ से श्री भटनागर जी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया.
भोजनोपरांत के सत्र में प्रतिभागियों द्वारा शिक्षण कार्य प्रस्तुत किया गया श्री सोहन राम जी द्वारा उषा कविता पर,श्री शिवहरे द्वारा बाजार दर्शन सहित कुल चार प्रतिभागियों ने अपनी रोचक प्रस्तुति दी. प्रतेक प्रस्तुति के पश्चात्शि समीक्षकों द्वारा अपनी समीक्षा दी. साथ ही सह निदेशक द्वारा सटीक मूल्यांकन किया,समीक्षा एवं अंतिम विचार के पश्चात् शिक्षण सत्र का समापन हुआ और प्रतिभागियों को चाय विराम दिया गया. अन्तिम सत्र में सभी समूहों के द्वारा संगणक पर प्रदत्त कार्य पूर्ण किये गए और अंत में सत्र समाप्ति की उद्घोषणा कर दी गई- मुक्तिबोध समूह
दिनांक 18.05.2018 का प्रतिवेदन
तानसेन की नगरी ग्वालियर में पीजीटी हिन्दी के सेवाकालीन प्रशिक्षण के द्वितीय दिवस दिनांक 18-05-18 को सरस्वती पूजन के साथ ही दिवस की कार्यवाही का प्रारंभ हुआ प्रार्थना सभा मे द्विवेदी समूह के प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न प्रस्तुतियां दी गई जिनकी सन्साधक महोदय श्री रामचंद्र चौधरी द्वारा भूरी भूरी प्रशंसा की गई साथ ही प्रार्थना सभा में औपचारिकताओं से परहेज करने की भी सलाह दी।
तत्पश्चात शिविर निदेशक महोदया ने सभी प्रतिभागियों को समय से आने की बात कहते हुए प्रतिदिन एक सुरीली प्रस्तुति का भी सुझाव दिया।
उसके पश्चात शिविर सह निदेशक श्री रामकुमार सिंह द्वारा फिराक की गजल 'नौरस गुन्चे ' की सुमधुर प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया । इसके पश्चात सन्साधक श्री रामचन्द्र द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पर एक सारगर्भित एवं उपयोगी जानकारी संगणक के माध्यम से दी जिससे सभी प्रतिभागी लाभान्वित हुए ।इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए शिविर सह निदेशक श्री रामकुमार सिंह द्वारा
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पर एक क़्विज़ का आयोजन किया जिसमें सभी प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।
चाय उपरान्त अतिथि वक्ता श्री विनीत तिवारी कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा साहित्य की रचना प्रक्रिया पर एक बेहद उपयोगी और रुचिपूर्ण वक्तव्य दिया साथ ही विषय को नयी उंचाईयों तक ले जाते हुए स्वयं एवं अन्य कवियों की रचनाओं के पाठ से विषय का सम्यक विवेचन किया । प्रतिभागियों के प्रश्नों के जवाबों के साथ ही दिवस का प्रथम पक्ष का समापन हुआ ।
दिवस के उत्तर पक्ष में प्रतिभागियों द्वारा आदर्श पाठ का प्रस्तुतिकरण किया गया जिसमें दिन जल्दी जल्दी ढलता है , जामुन का पेड़ , अलंकार , पत्र लेखन , वे आँखे इत्यादि पाठों की मनोरम प्रस्तुति दी गई । बाद में समीक्षकों द्वारा इन प्रस्तुतियों का गहन समालोचन किया गया और इनके गुण दोषों पर प्रकाश डाला गया । शिविर सह निदेशक श्री रामकुमार सिंह द्वारा भी इन आदर्श पाठों का विभिन्न बिन्दुओं पर गहन मूल्यांकन किया गया जो सभी प्रतिभागियों हेतु आगामी प्रस्तुतियों हेतु मार्गदर्शन का कार्य करेगा ।
दिवस के अन्तिम खण्ड को समूह कार्य हेतु आरक्षित रखा गया था जिसमें सभी समूह के प्रतिभागियों ने उन्हे आवंटित विभिन्न कार्यों को सम्पन्न किया ।
इस तरह दिवस के अवसान के साथ ही शिविर के द्वितीय दिवस का भी अवसान हुआ । -हजारी प्रसाद द्विवेदी समूह
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
दिनांक 17.05.2018 का प्रतिवेदन
आज दिनांक 17.05.2018 को केंद्रीय विद्यालय क्र. 1, ग्वालियर में केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा 21 दिवसीय सेवाकालीन प्रशिक्षण शिविर स्नातकोत्तर शिक्षक (हिन्दी ) हेतु के प्रथम सत्र का शुभारंभ हुआ । शिविर निदेशिका सुश्री राजकुमारी निगम, प्राचार्या के. वि. क्र. 1, ग्वालियर द्वारा मुख्य अतिथि श्री वी. एस. पुजारी प्रभारी निदेशक, आकाशवाणी केंद्र, ग्वालियर का स्वागत पुष्प गुच्छ प्रदान कर किया। वाग्दायिनी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्प समर्पण मुख्य अतिथि, निदेशिका, सह – निदेशक द्वारा किया गया। समेकित रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर ज्ञान का प्रकाश आलोकित किया गया । डा. रामकुमार सिंह द्वारा माँ सरस्वती की अर्चना के साथ – साथ ‘बच्चन’ जी की कविता ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ का स-स्वर वाचन किया गया । निदेशिका महोदया के द्वारा शिविर के उद्देश्य, के. वि. सं. की अपेक्षाओं एवं इस सेवाकालीन प्रशिक्षण की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए मुख्य अतिथि का स्वागत एवं अभिनंदन किया गया ।
के. वि. सं. के 14 संभागों से आये हुए प्रतिभागियों ने अपना परिचय दिया। मुख्य अतिथ श्री पुजारी ने विद्यार्थी के जीवन में अध्यापक के महत्व, उसकी भावी जीवन के विकास, विविध परिस्थितियों से सामंजस्य, जीवन कौशल तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अध्यापक की भूमिका की चर्चा की । संसाधक डा. रामचंद्र जी द्वारा मुख्य अतिथि का आभार समस्त शिविर की ओर से प्रकट किया गया ।
अल्पाहार पश्चात सह-निदेशक डा. रामकुमार सिंह ने शिविर की निदेशिका, सह – निदेशक, समस्त संसाधक एवं प्रतिभागियों का विशद परिचय प्रस्तुत किया गया । डा. शशिभूषण ने प्रत्येक समूह को समूह कार्य का आवंटन किया । आदर्श पाठ प्रस्तुतिकरण हेतु पाठों के आवंटन से भी साथ ही साथ अवगत कराया गया ।
भोजनांतराल पश्चात पूर्व ज्ञान परीक्षा का आयोजन किया गया, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने भाग लिया । तत्पश्चात आज शिविर का प्रथम दिवस का सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । डा. अमिताभ शर्मा - बच्चन समूह
अधिक छायाचित्र फोटो-गैलरी में -
Comments
Post a Comment